अगर खेती एक घाटे का काम है तो किसान परिवारों में इतनी सम्पन्नता कैसे
हमारा भारत एक कृषि प्रधान देश है.
फिर भी कुछ किसान खेती को घाटे का सौदा मानते हैं तो कुछ किसान खेती को एक बिजनेस के तौर पर करते हैं.
भारत के इसी कृषि प्रधान देश में बहुत से किसान खेती को घाटे का सौदा बताकर मुह मोड़ लेते हैं.
देश के छोटे किसान जो थोड़ी सी जमीन में कई प्रकार के फसलों की खेती करते हैं. उनको यह लगता है की खेती-किसानी घाटे का काम है.
वहीँ जिन किसानों के पास खेती के लिए अधिक भूमि होती है. वे अपने उपयोग में आने वाली सभी फसलों की खेती कर लेते हैं जैसे- धान, गेहूं, मक्का, ज्वार, सरसों, तिल, सूरजमुखी, गन्ना, चना, मटर इत्यादि.
इसके बाद वे बचे हुए खेतों में सब्जियों की खेती के साथ पशुपालन, मछलीपालन, मुर्गीपालन जैसे साइड बिजनेस करके बहुत ही अच्छी आमदनी कमाते हैं. जिससे किसान परिवारों में सम्पन्नता देखने को मिलाती है.
देश में बहुत से ऐसे गरीब किसान हैं, जिनके पास बहुत कम भूमि होती है या बिलकुल नहीं होती है. ऐसे में वे किसान भाड़े पर यानि सालाना लीच पर दूसरों की जमीन लेकर खेतीबाड़ी करते हैं
अब देखने को मिलता है की जो लोग शहर जाकर 10 से 15 हजार रुपये महीने की नौकरी करते थे, उनमे से बहुत से लोग शहर छोड़कर लीच पर भूमि लेकर सब्जियों की खेती से खुद तो मालामाल और सम्पन्न हो ही रहे हैं.