भारत में कुल गेहूं का 4 प्रतिशत उत्पादन कठिया गेहूं से पैदा किया जाता है
भारत में कठिया गेहूं की खेती लगभग 25 लाख हैक्टर में होती है
कठिया गेहूं में 3 सिंचाई पर्याप्त होती हैं
इस गेहु का उपयोग दलिया, स्पेपेटी, सेवइया नूडल्स, सूजी रखा, पिज्जा, और शीघ्र पचने वाले पौष्टिक आहारों में किया जाता है
इसकी खेती सूखे क्षेत्रों में किसानों के बहुत अच्छा विकल्प है
इसकी बुआई के लिए 40 कि.ग्रा. प्रति एकड़ बीज की पर्याप्त होती है
एच.डी.-4728 (पूसा मालवी) यह 120 दिनों में पककर तैयार होती है, दाना बड़ा, चमकीला और उच्च गुणवत्ता का होता है. तथा औसत उत्पादन 5.42 टन से 6.28 टन प्रति हैक्टर है
उन्नत प्रजातियां
एच.आई. - 8713 (पूसा मंगल ) यह सिंचित क्षेत्रों में देर से बुआई की जाने वाली प्रजाति है
एच. आई. - 8498 ( मालवा शक्ति) यह 140 दिनों में पककर तैयार होती है, इसका औसत उत्पादन 4.0 से 5.0 टन प्रति हैक्टर है
एम.पी.ओ.-1215 सिंचित क्षेत्रों के लिए अनुकूल है, औसत उत्पादन 4.6 से 5.0 टन प्रति हैक्टर है
एमपीओ- 1106 ) यह 113 दिनों में पककर तैयार होती है
एच.आई. - 8498 ( पूसा अनमोल) सिंचित क्षेत्रों के लिए अनुकूल है.
एच. आई. - 8381 (मालव श्री ) औसत उत्पादन 4.0 टन से 4.9टन प्रति हैक्टर है
एच.डी. - 4728 ( मालवा रतन ) असिंचित क्षेत्रों के लिए अनुकूल है, औसत उत्पादन 2.3 से 3.5 टन प्रति हैक्टर है
एच.आई. - 8627 (मालवा कीर्ति) असिंचित क्षेत्रों में बुआई के लिए अनुकूल है औसत उत्पादन 2.6 से 3.0 टन प्रति हैक्टर है