पालक एक हरी पत्तेदार सब्जी है. यह सबसे जल्दी तैयार होने वाली सब्जी है जो लगभग 30 से 35 दिन में कटाई के लिए तैयार हो जाती है. Palak ki kheti में अन्य सब्जियों की तुलना में लागत बहुत ही कम लगती है. यह इतने जल्दी तैयार हो जाती है की इसमें रोग और कीट भी नहीं लगते हैं.
और यदि बरसात में पालक की खेती की जाय तो इसमें सिंचाई की भी आवश्यकता नहीं होती है. तो दोस्तों आज के इस छोटी सी पोस्ट में हम आपको पालक की खेती करने के बारे में बताने जा रहे हैं, अगर आपको यह पोस्ट अच्छा लगे तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें.

पालक की खेती कब करें | Palak ki kheti
सबसे कम समय तथा सबसे कम पानी में तैयार होने वाली पालक की खेती पुरे वर्ष किसी भी महीने में बिना किसी परेशानी के की जा सकती है. बरसात और गर्मी में पालक की खेती से बहुत अच्छा पैसा कमाया जाता है क्योंकी गर्मियों में पत्तेदार पालक का सेवन स्वास्थ के लिए बहुत ही लाभदायक होता है. तथा बरसात में पालक की खेती बहुत कम होती है. क्योंकि पालक बारिश को ज्यादा सहन नहीं कर पाती है. जिससे इनकी खेती बहुत कम होती है. इसलिए इनका रेट बहुत महंगा हो जाता है.
पालक में कौन सा खाद डालना चाहिए
पालकी की खेती में बहुत न ही अधिक पानी की जरुरत पड़ती है और ना ही अधिक खाद की जरुरत पड़ती है. पालक में खाद की बात करें तो खेत की अंतिम जुताई के समय 2 किलो प्रति बिस्से या बड़ी क्यारी के हिसाब से DAP डालकर मिट्टी को भुरभुरी बना लेना चैये उसके बाद उसमें पालक की बिजाई करनी चाहिए. तथा बुआई के 20 दिन बाद 1kg प्रति बिस्से के हिसाब से यूरिया की टॉपड्रेसिंग करनी चाहिए. जिससे पालक बहुत जल्दी कटाई के लिए तैयार हो जाती है.
पालक बोने का तरीका
अच्छी तरह से खेत की जुताई करके मिट्टी को भुरभुरी बना लेना चाहिए उसके बाद खेत में छोटी-छोटी क्यारियां बना लेना चाहिए. फिर इन क्यारियों में पालक की उन्नत बीजों की बुआई करनी चाहिए. बुआई करने के बाद अगर खेत में नमी का आभाव हो तो बुआई के दो दिन बाद हलकी सिंचाई कर देनी चाहिए. इससे बीजों का जमाव बहुत अच्छा होता है.
पालक की खेती में सिंचाई
अगर गर्मियों में पालक की खेती करते हैं तो सिंचाई 3 से 4 दिन के अन्तराल पर सर्दियों में 12 दिन पर करनी चाहिए. परन्तु यदि जुलाई में पालक की खेती करते हैं तो अगर बारिश समय पर होती है तो सिंचाई की आवश्यकता नहीं होती है.
पालक में खरपतवार नाशक दवा
पालक की खेती को खरपतवारों से 60% की हानि होती है. इसलिए पालक से अच्छी आमदनी कमाने के लिए इन्हें खरपतवारों से बचाना चाहिए. पालक की बुआई करने के तुरंत बाद पेंडीमेथिलिन का छिड़काव करना चाहिए. परन्तु इस बात का ध्यान रहे की पेंडीमेथिलिन का स्प्रे करते समय खेत में नमी होनी चाहिए. लकिन यदि खेत में पर्याप्त नमी न हो तो दवा के छिड़काव के बाद हल्की सिंचाई करनी चाहिए.
पालक में लगने वाले रोग
गलन रोग- अगर आप बरसात में पालक की खेती करते हैं तो इन दिनों बारिश के कारण पालक की पत्तियां गलने का रोग लगता है. इसका सबसे बड़ा कारण यह है की पालक की खेती अधिक पानी को नहीं सहन कर पाती है. ऐसे में किसान भाइयों को चाहिए की यदि बरसात में पालक की खेती करने जा रहे हैं तो, किसी ऊँचे जलनिकास वाली भूमि का चयन करना चाहिए. तथा अगर गलन रोग दिखाई दे तब मिराडोर फफूंदनाशक रसायन का स्प्रे करना चाहिए.
पत्ती खाने वाले कीड़े- पालक की खेती में पत्ती खाने वाले कीड़ों से भी फसल को भारी नुकसान होता है. यह एक प्रकार की हरी इल्ली होती है जो पालक के पत्ते के समान हरी होती है. इससे फसल को बचाने के लिए प्रोफेक्स कीटनाशक का 25 ml प्रति 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.
Q1. पालक कौन से महीने में बोई जाती है?
ANS. पालक पुरे वर्ष किसी भी महीने में बोई जा सकती है.
Q2. पालक कितने दिन में तैयार हो जाती है?
ANS. 30 से 35 दिन में.
Q3. पालक कितने दिनों में अंकुरित होता है?
ANS. पालक 1 सप्ताह में अंकुरित होती है.
Q4. सबसे जल्दी तैयार होने वाली सब्जी कौन सी है?
ANS. पालक, मूली, चौराई, मेंथी, धनियाँ.
Q5. पालक की कितने कटाई की जाती है?
ANS. यदि आप हाइब्रिड पालक की बुआई करते हैं तो 7 से 8 कटाई कर सकते हैं.
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