मूंग की फसल में इल्लियों और रस चूसने वाले कीटों से पैदावार में 60 फीसदी तक कमी देखने को मिलती है. गर्मियों के दिनों में मार्च से लेकर अप्रैल तक मुंग की फसल की बुआई किसान भाई करते हैं. और मई में इन फसलों में फूल आना शुरू हो जाते हैं.
मुंग की खेती में फूल आते ही कुछ कीट भी अपना असर दिखाना शुरू कर देते हैं. जैसे ही मुंग की फसल में फूल आते हैं उसी समय इल्लियों का प्रकोप शुरू होने लगता है. और साथ ही हरी मक्खियाँ भी पत्तियों का रस चूसकर फसलों को नुकसान पहुँचाना शुरू कर देती हैं.
तो दोस्तों चलिए हम जानते हैं की मूंग की फसल में कीटनाशक दवा का स्प्रे करके इल्लियों और रस चूसने वाले कीटों को कैसे नियंत्रण किया जाता है. जिससे इन कीटों से फसलों को बचाया जा सके.

रस चूसने वाले कीटों से मुंग के फसल की सुरक्षा
हरी एवं सफ़ेद मक्खियाँ पत्तियों की निचली सतह पर बैठकर रस को चूसकर पौधों में प्रकाशशंश्लेषण की क्रिया को प्रभावित करती हैं. जिससे पौधे की पत्तियां कमजोर होने के बाद पीली होकर गिर जारी हैं. अतः मुंग की फसल को रस चूसने वाले कीटों बचाने के लिए इमिडाक्लोरोपिड कीटनाशक 1ml और रोगार 1.5ml दवा प्रति 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.
मूंग में सुंडी की रोकथाम
मुंग की फसल में इल्लियों का प्रकोप फूल आने की स्थिति में दिखाई देती है. और जब आसमान में बादल छाये रहते हैं तथा पूर्व से पश्चिम की और हवा चलती है तब इल्लियों का प्रकोप मूंग के अलावा सभी फसलों में अधिक दिखाई देती है. इल्लियों से मूंग की खेती को बचाने के लिए BIO AK-57 कीटनाशक 1.5ml प्रति 15 लिटर पानी तथा एसिटाल 20 ग्राम प्रति 15 लिटर पानी एक साथ मिलाकर छिड़काव करना चाहिए.
मूंग में फल-फूल की दवा
मूंग में फल-फूल की दवा के लिए बुआई करने के बाद तथा फूल आने से पहले मीराक्युलान टानिक का 25ml दवा 15 लीटर पानी में घोल बनाकर खड़ी फसल में मूंग में पहला स्प्रे करना चाहिए. तथा दूसरा छिड़काव पहले छिड़काव के 15 दिन बाद करना चाहिए. इसके अलावा शाइन टानिक को 10ml प्रति 15 लिटर पानी में स्प्रे करना चाहिए.
मूंग की फसल में खरपतवार नाशक दवा
खरपतवार की अधिकता के कारण भी फसलों में रस चूसने वाले कीटों तथा फूल और फलियों को हानि पहुँचाने वाले इल्लियों के लगने की सम्भावना बहुत हद तक बढ़ जाती है. ऐसे में मूंग की फसल में खरपतवार नियंत्रण के लिए बुआई तुरंत बाद पेंडीमेथिलिन दवा का छिड़काव करनी चाहिए. लेकिन इस बात का ध्यान रहे की लेकिन इसके बाद भी यदि मूंग की खड़ी फसल में खरपतवार दिखाई दे तो हाथ से निकाल देना चाहिए.
मूंग की फसल में पीलापन कैसे दूर करें
अक्सर देखा जाता है की खीत की अच्छी जुताई, अच्छे खाद, अच्छे बीजों की बुआई यानि सब कुछ ठीक होने के बाद भी मूंग की फसल में पीलापन देखने को मिलता है. और जब फसल पीला हो जाता है तब उसमें प्रकाश संश्लेषण की क्रिया ठीक से नहीं हो पाती है. और पौधे कमजोर हो जाते हैं जिससे फसल अच्छी नहीं हो पाती है. तो दोस्तों आपको बता दें की मूंग की फसल को पीलापन होने के कई कारण होते हैं.
जैसे- जिस खेत में मूंग की फसल की बुआई करनी हो उसमें पिछली ली गई फसल अधिक पानी वाली होने के कारण मूंग की फसल पीली हो सकती है. इसके अलावा मूंग में अधिक सिंचाई करने से भी फसल पीली होने की सम्भावना होती है.
FAQ
Q1. गर्मी में मूंग की खेती कब करें?
ANS- मार्च से अप्रैल तक.
Q2. मूंग की फसल में पहला पानी कब दे?
ANS- 30 से 35 दिन बाद.
Q3. मूंग की फसल में दूसरा पानी कब देना चाहिए?
ANS- फूल आने के समय.
Q4. मूंग में कौन सी दवा डालना चाहिए?
ANS- इल्लियों से बचाने के लिए- BIO AK-57. रस चूसने वाले कीटों से बचाने के लिए- इमिडाक्लोरोपिड का स्प्रे करनी चाहिए.
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