फसलों को रोग और कीटों से बचाने के लिए अक्सर किसान खुदरा दुकानदारों कीटनाशक दवा खरीदकर लाते हैं और दुकानदारों के दिए हुए सलाह के अनुसार फसलों पर छिड़काव करते हैं.
लेकिन किसान भाइयों को यह पता नहीं होता है की कुछ दुकानदार उनके पीठ पीछे कीटनाशक बेचने का गोरखधंधा करते हैं. और किसान भाइयों को इस बात का भनक भी नहीं लग पाता है.

क्या है कीटनाशक बेचने का गोरखधंधा
दरअसल होता यह है की जब कोई भी रासायनिक दवा किसान भाई अपने खेतों में छिड़काव के लिए खुदरा दुकानदारों से खरीदते हैं तो, दुकानदार 20 ml प्रति 15 लीटर पानी की जगह 30 या 40 ml प्रति 15 लिटर पानी में दवा का घोल बनाकर फसलों पर छिड़काव करने की शिफारिश करते हैं.
इस प्रकार किसानों को रासायनिक दवा के नाम पर लुटा जाता है. कुछ छोटे किसान भाइयों के साथ तो ऐसा भी होता है की अगर उन्हें किसी दवा की पूरी फाइल की जरुरत नहीं होती है तो वे केवल 1 या 2 टंकी के लिए अलग से दवा लेते है. और ऐसे में उन्हें एक 30 या 50 ml की सफ़ेद प्लास्टिक की शीशी में दवा दे दिया जाता है जो date expire होती है.
जबकि रसायन बनाने वाले कृषि वैज्ञानिकों का सलाह होता है की 20 ml प्रति 15 लीटर पानी में घोल बनाकर भी फसल पर छिड़काव किया जाय तो रोग और कीटों से 7 से 10 दिनों के लिए छुटकारा पाया जा सकता है.
क्यों करते हैं कीटनाशक का गोरखधंधा
रासायनिक दवा बेचने वाली कंपनी अपने एजेंट को एक टार्गेट या लालच देती है की अगर आप इतने दिन में 2 हजार लीटर दवा बेच देते हैं तो आपको आपकी पत्नी के साथ फ्री में विदेश घुमने का पैकेज मिलेगा. या आप 1 हजार लीटर बेच देंगे तो आपको 1 नई चमचमाती कार मिलेगी.
और फिर यहीं एजेंट अपने टारगेट को पूरा करने के लिए रासायनिक दवा को जब खुदरा दुकानदारों के यहाँ बेचने के लिए देते हैं तो दुकानदार को कोई छोटा सा लालच देकर 20 ml की जगह 30 या 40 ml प्रति 15 लीटर पानी में स्प्रे करने को कहते हैं.
और किसान भाई तो भोले-भाले होते ही हैं उनको डर रहता है की कहीं उनकी फसल बर्बाद न हो जाये तो ऐसे में वे दुकानदार के कहे अनुसार या उससे भी ज्यादा रसायन को पानी में घोल बनाकर फसलों पर दवा का स्प्रे करते हैं. अक्सर देखा जाता है की किसान दुकानदार के बताये डोज से 5 ml अधिक दवा का घोल तैयार करते हैं.
कीटनाशक के गोरखधंधा का स्वास्थ्य पर प्रभाव
मार्किट में तेजी से चले रहे इस गोरखधंधा के कारण आज लोग बीमारी का शिकार हो रहे हैं. आज कोई भी ऐसा ब्यक्ति नहीं देखने को मिलेगा जिसका कोई भी एक महीना बिना दवा खाए ब्यातित हुआ होगा. यहाँ तक की विदेश यात्रा की लालच करने वाले एजेंट भी अपने बच्चों को यहीं जहरीली सब्जियाँ खिलाते हैं.
किसान कीटनाशकों के गोरखधंधा से कैसे बचें
रसायनों के गोरखधंधा से बचने के लिए किसान भाइयों को सबसे पहले इस बात का ध्यान रखना चाहिए की जब भी खुदरा दुकान पर दवा खरीदने जाएँ तो शीशी या पैकेट पर लिखे expire date को बहुत अच्छी तरह से देखकर ही खरीदें. तथा उस पर लिखे एमआरपी (मूल्य) का भी विशेष ध्यान दें.
रासायनिक दवा के साथ पर्ची या लिफाफा को अवश्य लें, क्योंकि पर्ची पर दवा का सही मात्रा पानी में मिलाने की जानकारी दी गई होती है. कुछ दवाओं की पैकेट या शीशियों पर भी दवा बनाने की मात्रा लिखी होती है. और उतने ही दवा की खरीदारी करें जीतनी दावा का स्प्रे करने की आवश्यकता हो. दुकानदारों के कहने पर ब्यर्थ की दवाएं न खरीदें.
हम आशा करते हैं की हमारे प्यारे किसान भाइयों को इस आर्टिकल के माध्यम से मार्किट में हो रहे रसायनों के गोरखधंधा कुछ जानकारी मिली होगी, कोई और किसान इस रसायनों के गोरखधंधा का शिकार न हो जाये, उनकी भलाई के लिए इस पोस्ट को अन्य किसान भाइयों के साथ शेयर जरुर करें, धन्यवाद.
तो दोस्तों अगर आपको कीटनाशकों के गोरखधंधा की यह आर्टिकल अच्छी लगी हो तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें, ताकि और भी कोई किसान कीटनाशकों के गोरखधंधा का शिकार न बन जाएँ.
यह भी पढ़ें:
- गर्मियों में बढ़ते तापमान में टमाटर के फूलों को गिरने से रोकने के तरीके
- खाद के दाम बढ़ने से अब महंगी होगी खेती
- गर्मी में बैगन की खेती