थोड़े से खेत से ज्यादा से ज्यादा पैदावार लेने के लिए किसान अपने खेतों सहित सभी फसलों में रासायनिक उर्वरकों का प्रयोग बहुत तेजी से कर रहे हैं. और देखे जाय तो इसका असर खेत सहित मानव स्वास्थ्य भूमि की उर्वरा शक्ति में कमी देखने को मिल रहा है. इस कारण बहुत से किसान खेती में कर रहे मनमानी से बहुत अधिक लागत लगा दे रहे हैं और और फायदा न होने के कारण खेती को छोड़ रहे हैं.

किसान प्राकृतिक खेती क्यों करें
प्राकृतिक खेती किसानों की आय दो गुना करने और लागत में कमी करती है. खेती में लग रही मनमानी लागत को कम करने, घाटे से बचने, भूमि की उर्वरा शक्ति को बनाये रखने के लिए प्राकृतिक खेती किसानों के लिए सस्ता और फायदे का सौदा है. उत्तर प्रदेश के कई जिलों के लाखों किसान प्राकृतिक खेती कर रहे हैं. और मानव स्वास्थ्य को देखते हुए कम लागत में अच्छा मुनाफा कमा रहे हैं.
प्राकृतिक खेती कैसे की जाती है
प्राकृतिक खेती एक ऐसी तकनीक है जिसमें रासायनिक उर्वरक का प्रयोग किसी भी हालत में नहीं की जाती है. प्राकृतिक खेती में फसलों को पोषण देने के लिए घर पर ही ऑर्गेनिक खाद बनाया जाता है. जिसे बनाने के लिए अनेक पेड़-पौधों के पत्तियों का उपयोग कर बीजामृत, जीवामृत घनजीवामृत, नीमास्त्र, गोमूत्र, गुण, बेसन, देशी गाय के गोबर, पानी का प्रयोग किया जाता है. और इनमे किसानों की लागत बहुत ही कम लगती है. प्राकृतिक खेती के बारे में अधिक जानकारी के लिए आपको YouTube पर अनेक विडियो मिल जायेंगे.
प्राकृतिक खेती के लिए देशी गाय का गोबर सबसे उत्तम और श्रेष्ठ माना जाता है. रिसर्च के अनुसार देसी गाय के गोबर में 300 से 500 करोड़ सूक्ष्म जीवाणु होते हैं. जो खेतों में लगे फसलों को मिट्टी में अनुकूल परिस्थिति तंत्र का निर्माण करके फसलों को सभी तरह के पोषक तत्व सुचारू रूप से उपलब्ध करते हैं. जिस कारण पौधों की जड़ों में लगने वाली बहुत सी समस्याएं ख़त्म हो जाती हैं. यदि इनका उपयोग जीवामृत के रूप में किया जाय तो ये सूक्ष्म जीवाणुओं को तेजी से सैकड़ों गुना बढ़ जाते हैं.
ज्यादातर किसान देखा जाता है की फसलों के बचे अवशेषों को खेत में ही जला देते हैं. ऐसा करने से खेत में उपस्थित आने प्रकार के तत्व नष्ट हो जाते हैं. इसलिए किसानों को बचे हुए फसल अवशेषों को जलाना नहीं चाहिए बल्कि उनको खेत में ही पलटकर खाद के रूप में प्रयोग करना चाहिए.
10 एकड़ खेत के लिए कितनी देशी गाय पालें
प्राकृतिक खेती को सफल बनाने के लिए देशी गाय का होना बहुत ही लाभदायक है. बहुत से किसान यह सोचते हैं की अगर हम प्राकृतिक खेती करते हैं तो बहुत अधिक गाय को पलना होगा लेकिन ऐसी बात नहीं है आपको बता दें की आगे आप 1 देशी गाय पालते हैं तो इससे लगभग 10 एकड़ से भी अधिक खेत खेत प्राकृतिक खेती किया जा सकता है.
देशी खाद के प्रयोग से मिट्टी में उपस्थित मित्र कीट पहले से और अधिक सक्रीय होते जाते हैं जो खेत की मिट्टी में अपना घर बनाकर मिट्टी को मुलायम और उपजाऊ बनाते हैं. जबकि रसायनिक खाद डालने से सभी प्रकार के मित्र कीट नष्ट हो जाते हैं. और मिट्टी कठोर हो जाती है.
प्राकृतिक खेती के लाभ
प्राकृतिक खेती के अंतर्गत देशी गाय का गोबर और मूत्र खेतो में उपयोग करने से भूमि की उपजाऊ बढकर लम्बे समय तक बरक़रार रहती है. साथ ही खेती से उत्पन्न होने वाले सभी तरह के अनाज, फल, फूल और सब्जियाँ गुणवत्तायुक्त होते हैं. जिससे इनके दाम बाजार में अधिक मिलते हैं.
प्राकृतिक आपदाओं का होगा फसलों पर कम असर
बीते दिनों देखा गया है की प्रति वर्ष प्राकृतिक आपदा जैसे- बेमौसम बारिश, सूखा, अत्यधिक गर्मी, अत्यधिक वर्षा, अत्याषिक सर्दी, कोहरा आदि आते रहते हैं. परन्तु अगर आप प्राकृतिक खेती करते हैं तो इन सभी आपदाओं का असर खेतों में लगे फसलों पर काफी कम लगता. और मौसम में सुधार होने पर इनकी ग्रोथ में भी तेजी से सुधार होता है.
पूछे जाने वाले प्रश्न!
प्रश्न 1. खेत में पराली जलाना कोई गुनाह है?
उत्तर. खेत में पराली जलाने से पोषक तत्व नष्ट हो जाते हैं. अतः पकड़े जाने पर 1 हजार से 5 हजार का जुर्माना भी देना होता है.
प्रश्न 2. उत्तर प्रदेश में प्राकृतिक खेती कहां होती है?
उत्तर. लखनऊ समेत इटावा, अलीगढ़, बरेली, वाराणसी, आजमगढ़, बराबंकी, मथुरा, मेरठ, व हरदोई के लाखों किसान प्राकृतिक खेती हैं.
प्रश्न 3. प्राकृतिक खेती योजना किसके अंतर्गत आता है?
उत्तर. भारतीय प्राकृतिक कृषि पद्धति एवं परंपरागत कृषि विकास योजना के तहत प्रदेश में इस पद्धति को लागू किया गया है.
प्रश्न 4. भूमि की उर्वरा शक्ति एवं कार्बन की मात्रा में इजाफा कैसे करें?
उत्तर. भूमि की उर्वरा शक्ति एवं कार्बन की मात्रा में इजाफा करने के लिए सह फसली एवं बेड पद्धति का उपयोग करना चाहिए.
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