धान की अच्छी पैदावार के लिए धान की अच्छी नर्सरी का होना बहुत ही आवश्यक है. जिस प्रकार एक छोटे बच्चे की परवरिश बचपन से ही किया जाता है. ठीक उसी तरह फसलों से अच्छी एवं बम्पर पैदावार के लिए नर्सरी में पौधों की देखभाल करना बहुत ही जरुरी होता है.
ऐसे में बहुत ही आवश्यक है की धान की स्वस्थ नर्सरी के लिए कुछ महत्वपूर्ण बातों का ध्यान देना अति आवश्यक है. क्योंकि नर्सरी एक ऐसा स्थान होता है जहाँ कई तरह के रोग और कीटों से 60 से 70 फीसदी बीमारी को खत्म करके पैदावार को बढ़ाया जा सकता है. तो दोस्तों चलिए हम जान लेते हैं की धान की खेती के लिए धान की अच्छी नर्सरी कैसे तैयार करें.

धान की नर्सरी के लिए क्यारी बनाना
अक्सर देखा गया है की किसान मेहनत न करना पड़े इसके लिए 1 बिस्वा या 2 बिस्वा खेत में बड़ी क्यारियाँ बनाकर नर्सरी डाल देते हैं. और जब सिंचाई करते हैं तो नर्सरी में आवश्यकता से अधिक जलभराव हो जाता है जिसे रोग और कीट लगने की सम्भावना 70 फीसदी बढ़ जाती है.
धान की नर्सरी के लिए बड़ी क्यारियाँ बनाने से उनमे लगे खरपतवार को निकलने के लिए नर्सरी में जाना होता है. जिससे जहाँ-जहाँ पैर पड़ते है वहाँ के पौधे का विकास धीमा होता है या पौधे मर भी जाते हैं. और साथ ही बड़ी क्यारियों में अगर किसी एक जगह कोई रोग लगता है तो पुरे नर्सरी में वाइरस की तरह फैल जाता है.
ऐसे में किसान भाइयों को ऊपर बताई गई सब समस्याओं से बचने हेतू धान की नर्सरी डालने के लिए 1 से 1.5 मीटर चौड़ा तथा 5 मीटर लम्बा क्यारी बनाना चाहिए. और अधिक जलभराव से बचने के लिए नालियां जरुर बनानी चाहिए.
इस प्रकार छोटी-छोटी क्यारियों में धान की नर्सरी डालने से उसमे लगे खरपतवार को निकलने के लिए उसमें पैर रखने की जरुरत नहीं होती. और बाहर से ही निराई हो जाती है. इसके अलावा यदि नर्सरी में कोई बीमारी लगती है तो वह एक ही क्यारी तक सिमित रहती है और बाकि क्यारियाँ सुरक्षित रहती हैं.
नर्सरी के लिए क्यारी की तैयारी
अप्रैल के अंतिम सप्ताह तथा मई माह में जिस स्थान पर धान की नर्सरी डालनी है वहाँ पर फावड़ा से गहरी खुदाई करके 10 दिनों के लिए छोड़ देना चाहिए ताकि उनमे उपस्थित हानिकारक कीट तेज धूप से नष्ट हो जाएँ. इसके बाद पुनः मिट्टी को भुरभुरी करके उसमे अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद डालकर मिट्टी में मिला दें.
कुछ स्थानों पर नर्सरी में दीमक लगने की समस्या से किसान बहुत परेशान रहते हैं. तो ऐसे स्थानों पर नर्सरी में गोबर की खाद मिलते समय ही रिजेंट कीटनाशक 20 ग्राम प्रति छोटी क्यारी के हिसाब से मिला देना चाहिए.
बीज की उचित मात्रा
धान की नर्सरी में 40 फीसदी बीमारी लगाने का मुख्य वजह यह होता है की किसान भाई छोटे क्यारियों में आवश्यकता से अधिक धान की नर्सरी डाल देते हैं. जबकि नर्सरी में अधिक बीज डालने से जब सभी बीज जमते हैं तो अधिक घना होने के कारण पौधे पतले एवं कमजोर हो जाते हैं.
और अक्सर देखने को मिलता है की जिस जगह अधिक बीज होते हैं उसी जगह पौधे सड़ते हैं और धीरे-धीरे पुरे नर्सरी में फैल जाते हैं. इसलिए किसान भाइयों को अधिक घना बीजों को नर्सरी में डालने से बचना चाहिए.
बीजोपचार
बहुत से रोग ऐसे होते होते हैं जो बीजों से पैदा होते हैं ऐसे रोगों की बीज जनित रोग कहते हैं. बीजों से जो रोग उत्पन्न होते हैं वे फफूंद होते हैं. इसलिए धान की नर्सरी डालने से पहले बीजों को फफूंदनाशक रसायन से उपचारित करना बेहद ही जरुरी होता है.
धान की बीजों को उपचारित करने के लिए थीरम, मैंकोजेब, कार्बेन्डाजिम या बाविस्टिन में से किसी एक रसायन को 25 ग्राम लेकर 1 किलो बीज के हिसाब से उपचारित करके नर्सरी डालनी चाहिए.
अंगमारी रोग से धान की नर्सरी का बचाव
धान में अंगमारी रोंग फफूंद की वजह से होता है. इस रोग के लक्षण सबसे पहले निचे की पत्तियों पर देखने को मिलते हैं. उसके बाद बढ़ते ही चले जाते हैं. धान की नर्सरी को अंगमारी रोग से बचाने के लिए नर्सरी में बीजों की बुआई करने से पहले 2 ग्राम स्ट्रेपटोसायक्लिन को 50 लीटर पानी में घोल लें.
फिर बीजों को 12 घंटे तक पानी में भिंगोने के बाद पानी से निकालकर छाया में अच्छी तरह सुखाकर बीजों को नर्सरी में डालनी चाहिए.
समय से डालें धान की नर्सरी
धान की नर्सरी में तरह-तरह के रोग उत्पन्न होना और पौधों का अच्छी तरह से ग्रोथ न होना ये सभी समस्याएं नर्सरी को समय से बहुत पहले डालने से होती हैं. इसलिए नर्सरी में रोग कम लगे और पौधे स्वस्थ रहें इसके लिए 1 जून से लेकर 25 जून तक नर्सरी डाल देनी चाहिए.
नर्सरी में उर्वरक की मात्रा
स्वस्थ नर्सरी के लिए उचित मात्रा में खाद एवं उर्वरक का भी बहुत बड़ा योगदान होता है. धान का नर्सरी डालने से पहले 1 से 1.5 मीटर चौड़ा तथा 5 मीटर लम्बा प्रति क्यारी के हिसाब से 200 ग्राम यूरिया, 300 ग्राम DAP और 30 ग्राम जिंक को एक साथ मिक्स करके मिट्टी में मिला देना चाहिए.
नर्सरी को खरपतवारों से रखें मुक्त
नर्सरी में बीजों का जमाव होने के यदि खरपतवार दिखाई दे तो हाथ की सहायता से बहुत ही सावधानी से निकल देना चाहिए. नर्सरी में खरपतवार की अधिकता होने से पौधे कमजोर हो जाते हैं. और पौधों की ग्रोथ बहुत धीमी होती है.
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