खरीफ सीजन में धान की फसल लगभग पुरे भारत के राज्यों में लगाई जाती है. और जुलाई महीने तक लगभग सभी राज्यों में धान की रोपाई किसान कर चुके होते हैं. जैसा की आप सब जानते हैं की धान की नर्सरी डालकर इसकी रोपाई की जाती है. और रोपाई करने के बाद जब तक धान की फसलों में नई पत्तियां और नई जड़ें आती हैं तब तक फसलों को नुकसान पहुँचाने वाले खरपतवार भी निकल आते हैं.
धान की फसल में खरपतवार लगने से ये खेतों से खाद और उर्वरकों को अपनी ओर खींचते हैं. जिससे धान की फसल कमजोर हो जाती है. और जब धान की फसल की कटाई और मड़ाई होती है तब देखने को मिलता है की पैदावार बहुत कम होता है. तो दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको धान की फसल को खरपतवार से बचाने के उपायों के बारे में बताने जा रहे हैं अगर आपको यह पोस्ट अच्छी लगे इसे अपने किसान दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें.

खरपतवार कितने प्रकार के होते हैं?
खरीफ में धान की फसल में मुख्य रूप से 3 प्रकार के धान पाए जाते हैं. जैसे- चौड़ी पत्ती वाले, संकरी पत्ती वाले तथा मोथावर्गीय खरपतवार. इनमें से कुछ कुछ ऐसे खरपतवार होते हैं जो केवल खरीफ सीजन में ही पनपते हैं. जिन्हें एकवर्षीय खरपतवार कहते हैं. कुछ ऐसे खरपतवार होते हैं जो पुरे वर्ष पनपते रहते हैं. इन्हें बहुवर्षीय खरपतवार कहते हैं.
किसानों को चाहिए की इन खरपतवारों को बड़े होने से पहले खेत से निकाल देना चाहिए. अगर समय से इनको खेत से न निकाला जाय तो ये बहुत जल्दी धान की फसलों से बड़े हो जाते हैं और धान के पौधे इनके निचे दब जाते हैं. फिर जब ये खरपतवार बड़े हो जाते हैं तब इनके कारण धान के खेत में रोग और कीटों का हमला शुरू हो जाता है. और परिणामस्वरूप पैदावार घट जाती है.
कृषि यन्त्र से खरपतवार निकलने की विधि
धान में खरपतवार नियंत्रण के लिए किसानों को चाहिए की अगर संभव हो तो खुरपी या कुदाल की सहायता से निराई-गुड़ाई करके हाथ से 20 से 25 दिन के अंदर निकाल देना चाहिए. अगर 1 महीने से अधिक दिनों पर खरपतवार बड़े होने पर निकालते हैं तो उनकी जड़ें जमीन में अधिक दूर तक फ़ैल जाती हैं. और ऐसे में खरपतवारों को कृषि यंत्रों से निकालने पर धान की जड़ें कटने का खतरा रहता है.
अगर धान के खेत से 20 से 25 दिन के अंदर पौधों को बिना हानि पहुंचाए खरपतवार निकालना हो तो 3 से 4 दिन पहले ही खेतों में पानी भरकर मिट्टी को मुलायम बना लेनी चाहिए. इसके बाद खरपतवार को हाँथ की मदद से निकाल देना चाहिए. खेतों में नमी बनाने से खरपतवार बहुत आसानी से उखड़ जाते हैं.
धान से खरपतवार निकालने की रासायनिक विधि
धान की रोपाई के 40 से 45 दिन बाद खरपतवार बड़े और मजबूत हो जाते हैं. ऐसे में किसानों को रासायनिक दवाओं का प्रयोग करना चाहिए.
खरपतवार के नाम | दवा का नाम |
चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार | ऑक्सीफ्यूरफेन |
संकरी पत्ती वाले खरपतवार | प्रेटिलाक्योर |
मोथावर्गीय पत्ती वाले खरपतवार | इथोसल्फ्युरान |
चेतावनी! फसलों में खरपतवार नियंत्रण के लिए किसी भी प्रकार की रासायनिक दवाओं का स्प्रे अपने मन से नहीं करना चाहिए. उन रसायनों का छिड़काव करने से पहले किसी एक्सपर्ट किसान या अपने नजदीकी कृषि विभाग से जानकारी अवश्य लेनी चाहिए.
FAQ
Que1. खरपतवार कितने प्रकार के होते हैं?
ANS. खरपतवार 3 प्रकार के होते हैं. चौड़ी पत्ती वाले, संकरी पत्ती वाले तथा मोथावर्गीय खरपतवार.
Que2. धान में खरपतवार पर नियंत्रण कैसे करें?
ANS. धान में खरपतवार नियंत्रण के लिए 20 से 25 दिन के अंदर हाथ से निकाल निकलना चाहिए. तथा रोपाई के 40 से 45 दिन बाद खरपतवार बड़े और मजबूत हो जाते हैं. ऐसे में किसानों को रासायनिक दवाओं का प्रयोग करना चाहिए.
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