
अगस्त में मूली की खेती- मूली एक ऐसी जड़ वाली सब्जी है जो पुरे वर्ष सभी जगह सभी प्रकार की मिट्टी में उगाई जाती है. मूली की जड़ें सलाद बनाने तथा इसकी पत्तियां साग बनाने के काम आती हैं. यानि मूली की जड़ें तथा पत्तियाँ दोनों भोजन में खाने के लिए उपयोग किये जाते हैं. अगर किसान मूली की खेती से कमाई करना चाहते हैं तो, बरसात में यानि जुलाई में मूली की खेती करके बहुत ही कम समय में हाइब्रिड मूली की खेती करके बहुत अच्छा मुनाफा कमा सकते हैं.
तो दोस्तों आज के इस पोस्ट में हम आपको अगस्त में मूली की खेती करने के बारे में सम्पूर्ण जानकारी देने जा रहे हैं. अगर आप जानना चाहते हैं की अगस्त में मूली की खेती कब करें और इसकी खेती करने की विधि क्या है. तो आप इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़ें. और अगर आपको मूली की खेती की यह जानकारी अच्छी लगे तो इसे अपने दोस्तों के साथ शेयर जरुर करें. ताकि वे भी अगस्त में मूली की खेती करके अच्छा मुनाफा कमा सकें.
मूली की उन्नत किस्में
मूली की उन्नत किश्मों की बात करें तो बहुत प्रकार की मूली की उन्नत प्रजातियाँ आपको कृषि की दुकानों पर मिल जाएँगी लेकिन आपको आपके राज्यों में मौसम और जलवायु तथा मंडियों में डिमांड के आधार पर मूली के बीजों की बुआई करनी चाहिए. मूली की उन्नत किश्मे जैसे- अर्का निशांत, सोमानी, पूसा देशी, पूसा चेतकी, जौनपुरी, बॉम्बे रेड, पंजाब सफेद, जापानी सफेद, आई. एच. आर1-1 पूसा रेशमी, पंजाब अगेती, एवं कल्याणपुर सफेद इत्यादि मूली की किश्मे हैं.
मूली में कौन सी खाद डालें
मूली की बुआई करने से पहले अंतिम जुताई के समय मुख्य खेत में 1 ट्राली अच्छी सड़ी हुई गोबर की खाद, 60 किलोग्राम फास्फोरस तथा 50 किलोग्राम पोटाश को प्रति एकड़ खेत की मिट्टी में मिलाकर खेत को समतल बना लेनी चाहिए. उसके बाद जब मूली में 4 से 5 पतियाँ निकल आये तब 30 किलो यूरिया की टॉपड्रेसिंग कर देनी चाहिए. तथा फी जब मूली की जड़ों में कंद बनना शुरू हो जाएँ तब फी दोबारा 50 किलो यूरिया की पुनः टॉपड्रेसिंग कर देनी चाहिए.
अगस्त में मूली के बीज कैसे लगाएं?
दोस्तों अगर आप बरसात में यानि अगस्त में मूली की खेती करते हैं तो आपको बता दें की इन दिनों ऊँचे जलनिकास वाली भूमि का चयन करना चाहिए. क्योंकि यदि मूली की खेती में ज्यादा समय के लिए जलभराव रहता है तो इसकी जड़ें सड़ने लगती हैं. और कुछ ही घंटों में पूरी फसल बर्बाद हो जाती है. इसके अलावा अगर आप बरसात में मूली की खेती करते हैं तो समलत भूमि में छिटकवा विधि से मूली की बुआई करते हैं जबकि गर्मियों में यानि अप्रैल में मूली की खेती करते हैं तो इनकी बुआई मेंड़ बनाकर एक-एक बीज की बुआई मेंड़ पर की जाती है.
मूली में खरपतवार नाशक दवा
मूली की खेती बहुत ही कम समय में तैयार होने वाली फसल है. अगर आप बरसात में मूली की खेती करते हैं तो यह 35 दिन बाद मंडियों में बेचने के लिए तैयार हो जाते हैं. और बरसात में इसकी खेती में खरपतवार एक बहुत बड़ी समस्या होती है. मूली में खरपतवार होने से रोग और कीट लगने की सम्भावना होती है जिससे फसल बर्बाद हो सकती है. इसलिए मूली को खरपतवार से बचाने के लिए मूली की बुआई के तुरंत बाद पेंडीमेथिलिन 100ml प्रति 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए. इस रसायन का स्प्रे करने से पहले इस बात का ध्यान रहे की खेतों में नमीं होना चाहिए.
मूली की फसल कितने दिनों में तैयार होती है
बरसाती मूली की फसलों गर्मियों और सर्दियों की अपेक्छा बहुत जल्दी तैयार हो जाती है. बरसात के मौसम में मूली की फसल बुआई के लगभग 35 से 45 दिन में मंडियों में बेचने के लायक तैयार हो जाते हैं. अगर आप अगस्त में मूली की खेती करने जा रहे हैं तो इस बात का ध्यान रखना चाहिए की बुआई मेंड़ बनाकर करनी चाहिए.
मूली में कौन कौन से रोग लगते हैं
जड़ गलन रोग- मूली की बुआई के 15 दिन बाद जब मूली के पौधे 4 से 5 पत्तियाँ होती हैं तो इन परिस्थिति में मूली के पौधों में जड़ गलन रोग लगता है. इसे आर्द्र गलन, डैम्पिंग ऑफ इत्यादि नामों से भी जाते हैं. यह रोग मृदा जनित रोग होता है.
उपचार- जड़ गलन रोग से मूली की फसल को बचाने के लिए बीज बुआई के पहले बीजों को बाविस्टिन या थिरम से उपचारित कर लेना चाहिए. तथा बुआई के 10 दिन बाद जब सभी बीज अच्छी तरह से जम जाएँ तब लूना एक्सपीरिएंस 15ml प्रति 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.
पत्तियाँ खाने वाले कीड़े- बुआई के लगभग 20 दिन बाद जब मूली में गांठें बनाना प्रारंभ होती है तब इनकी पत्तियाँ चौड़ी होती हैं. और इस समय अक्सर देखा जाता है की हरे एवं भूरे इल्लियाँ मूली की पत्तियों को खाकर फसल को बुरी तरह प्रभावित करती हैं.
उपचार- मूली की फसल को पत्ती खाने वाले कीड़ों से बचाने के लिए प्रोफेक्स सुपर या क्लोरोपायरीफास कीटनाशक का छिड़काव करना चाहिए.
जड़ खाने वाले कीड़े- मूली की खेती में जड़ खाने वाले कीड़े एक बहुत बड़ी समस्या है. अक्सर देखा जाता है की जब मंडियों में बेचने के लिए मूली को खेत से उखाड़ते हैं तो उनकी जड़ों में काले दाग दिखाई देते हैं. जो जमीन में उपस्थित कीड़ों द्वारा बुरीतरह प्रभावित होते हैं. जिनकी मंडियों में कोई कीमत नहीं होती है.
उपचार- (1) जड़ खाने वाले कीड़े से मूली की फसल को बचाने के लिए बीज बुआई के पहले खेत की अंतिम जुताई के समय दानेदार 4G 1kg (कारटापहाईड्राक्लोराइड) प्रति बिस्से के हिसाब से मिट्टी में मिला देना चाहिए. इसके बाद ही मूली की मुख्य खेत में बुआई करनी चाहिए.
(2) बुआई के 20 से 25 दिन बाद जब मूली में गांठें बनाना शुरू हों तब प्रत्येक सिंचाई के बाद यूरिया में कारटापहाईड्राक्लोराइड पाउडर को मिलाकर मूली की खड़ी फसल में बुरकाव करके हलकी सिंचाई करनी चाहिए. तथा 10 ग्राम कारटापहाईड्राक्लोराइड पाउडर को 15 लीटर पानी में घोल बनाकर छिड़काव करना चाहिए.
Q1. मूली की खेती कितने दिनों में तैयार हो जाती है?
ANS. 35 से 45 दिन में मूली बेचने के लिए तैयार ही जाती है.
Q2. मूली में कौन सी दवा डालें?
ANS. जड़ खाने वाले कीड़े के लिए 4G 1kg (कारटापहाईड्राक्लोराइड), पत्ती खाने वाले कीड़ों के लिए प्रोफेक्स सुपर या क्लोरोपायरीफास कीटनाशक, जड़ गलन रोग के लिए लूना एक्सपीरिएंस का प्रयोग करना चाहिए.
Q3. मूली की बीज दर क्या है?
ANS. 100 ग्राम प्रति बिस्सा.
Q4. मूली के बीज का क्या भाव है?
ANS. मूली की उन्नत किश्मों के हिसाब से 350 रूपये से लेकर 1600 रूपये प्रति किलो.
Q5. मूली की खेती कौन से महीने में की जाती है?
ANS. मूली की खेती पुरे वर्ष पुरे महीने में कभी भी की जा सकती है.
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