
तिल की खेती- बरसात का मौसम आते ही खरीफ में बोई जाने वाली फसलों की बुआई तेजी से होने लगती है. ज्वार मक्का, अरहर, धान, बाजरा, उर्द, तिल यह मुख्य रूप से बारिश में बोई जाने वाली फसलें है. इनमे से कुछ फसलों की बुआई जून में ही करना अनिवार्य होता है. लेकिन तिल की खेती असिंचित क्षेत्रों में जुलाई महीने तक की जाती है.
तिल की खेती से किसानों को अन्य फसलों की अपेच्छा बहुत अधिक मुनाफा होता है. वैसे तो इनके शुद्ध तेल की कीमत भी बहोत महंगी होती है. तो दोतों आज हम आपको इस पोस्ट में बरसात में तिल की खेती कैसे करें तथा तिल की वैरायटी के बारे में बताने जा रहे हैं. तिल की खेती के बारे में सम्पूर्ण जानकारी के लिए इस पोस्ट को अंत तक जरुर पढ़ें.
तिल की बेस्ट वैरायटी/उन्नत किस्में
तिल की खेती से बम्पर उत्पादन लेने के लिए किसानो को तिल की उन्नत किस्में यानि तिल का हाइब्रिड बीज की बुआई करनी चाहिए. तिल की कुछ उन्नत किश्मों की बात करें तो आपको टा-78, प्रगति, आर टी 351, आर.टी. 127, शेखर, तरुण, आर.टी. 125, जे.टी-11, जे.टी-12 जैसी अनेक प्रजातियाँ आपको कृषि की दुकानों पर मिल जाएँगी. लेकिन फसल से अच्छी उत्पादन लेने के लिए केवल उन्हीं उन्नत तिल की वैरायटी की बुआई करनी चाहिए जो उस शहर या जिले के लिए अनुकूल हो.
तिल का बीज उपचार कैसे करें
मुख्य खेत में तिल की बुआई करने से पहले अच्छी फसल तथा अधिक पैदावार लेने के लिए बीजों को 5 ग्राम बाविस्टिन प्रति किलो बीज के हिसाब से उपचारित कर लेना चाहिए. तिल का बीज उपचार करके बुआई करने से मिट्टी में उपस्थित फफूंद से पौधों का बचाव होता है. जिससे तिल की फसल अच्छी होने से पैदावार अधिक होती है.
तिल की खेती में खाद की मात्रा
फसलों को स्वस्थ रखने तथा अधिक पैदावार लेने के लिए खाद और उर्वरकों का भी बहुत बड़ा योगदान रहता है. लेकिन अगर संभव हो सके तो बुआई से पहले खेत की मिट्टी की जाँच कराने के बाद उचित खाद का प्रयोग खेतों में करके तिल के बीजों की बुआई करनी चाहिए. और जिस खेत में तिल की बुआई करने जा रहे हैं यदि वह खेत उसर है तो उसमें जिप्सम का प्रयोग करना चाहिए. और यदि मिट्टी की जाँच न हो सके तब प्रति एकड़ 1 ट्राली गोबर की सड़ी खाद या मुर्गियों की खाद, 50 किलो यूरिया, 40 किलो DAP का प्रयोग खेत की अंतिम जुताई के समय मिट्टी में मिलाना चाहिए.
तिल की बुवाई कौन से महीने में की जाती है
बरसात में तिल की खेती जून के अंतिम सप्ताह से लेकर जुलाई महीने तक की जाती है. अधिक देर से इसकी बुआई किसान करते हैं तो उपज में काफी कमी देखने मिलेगी. अतः तिल की बुआई से पहले किसानों को गर्मियों में ही खेत की गहरी जुताई करके पाटा लगाकर मिट्टी को भुरभुरी बना लेना चाहिए. और असिंचित क्षेत्रों में बरसात शुरू होते ही तिल की बुआई शुरू कर देनी चाहिए.
तिल की फसल के रोग व उपचार
जड़ तथा तना गलन रोग- बरसात में तिल की खेती में भी रोगों और कीटों का हमला होता है जिससे फसलों को बचाना बहुत ही जरुरी होता है. तिल की बुआई के बाद जब पौधे में 6 पत्तियां निकल आती हैं तब अक्सर देखा जाता है की जड़ तथा तना गलन रोग दिखाई देता है. इस रोग से फसलों को बचाने के लिए साफ फफूंदनाशक रसायन का छिडकाव करना चाहिए.
जीवाणु अंगमारी- तिल की बुआई के 15 दिनों के बाद फसल में जीवाणु अंगमारी जैसा भयानक रोग दिखता है. इस रोग के लक्षण यह है की पत्तियों पर जल के कड़ जैसे छोटे-छोटे बिखरे हुए होते हैं. अगर ध्यान न दिया जाय तो यह पुरे पत्तियों सहित पौधों को भी हनी पहुंचाती है. इस रोग से फसलों को बचाने के लिए स्ट्रेप्तोसयाक्लिन का 10 दिनों के अन्तराल पर स्प्रे करना चाहिए.
पत्ती खाने वाले कीड़े- जब तिल की खड़ी फसल में फूल आने का समय होता है तब इसमें पत्ती खाने वाले हरे कीड़े का हमला होता है. ये पत्तियों के साथ-साथ तिल के कोमल फलों को भी हानि पहुंचाती हैं. अतः पत्ती खाने कीड़े से बरसात में तिल की खेती को बचाने के लिए फ्रोफेक्स सुपर कीटनाशक का छिडकाव करना चाहिए.
तिल की खेती में खरपतवार नाशक दवा
खरपतवार फसलों का बहुत बड़ा शत्रु होता है. खरपतवार खेत में उपस्थित 30 से 40 प्रतिशत उपजाऊ शक्ति को अपने अंदर अवशोषित कर लेती है. जिससे उपज में भी काफी कमी देखने को मिलती है. तिल की खेती को खरपतवार से मुक्त रखने के लिए सबसे पहले बुआई के तुरंत बाद पेंडीमेथिलिन का स्प्रे करना चाहिए. लेकिन किसी कारण अगर तिल की खेती में खरपतवार उग आयें तब खुरपी की सहायता से निकाल देना चाहिए.
तिल की सहफसली खेती
तिल की खेती अकेले या सहफसली दोनों तरह से किया जा सकता है. अरहर, ज्वार, बाजरा व उर्द के साथ तिल की सहफसली खेती करके दोहरा मुनाफा कमाया जा सकता है. सहफसली खेती करने से खेतों में खरपतवार से भी छुटकारा मिलता है. तथा एक ही खाद और पानी से दो फसलें ली जाती हैं.
Q1. तिल की उन्नत किस्में कौन कौन सी है?
Ans. टा-78, प्रगति, आर टी 351, आर.टी. 127, शेखर, तरुण, आर.टी. 125, जे.टी-11, जे.टी-12 इत्यादि.
Q2. तिल की फसल कितने दिन में तैयार होती है?
Ans. तिल की फसल 3 महिना में पककर तैयार हो जाती है.
Q3. जुलाई के महीने में कौन सी फसल बोई जाती है?
Ans. ज्वार मक्का, अरहर, धान, बाजरा, उर्द, तिल.
Q4. भारत में तिलहन का सबसे बड़ा उत्पादक राज्य कौन सा है?
Ans. मध्य प्रदेश.
Q5. तिलहन का सबसे बड़ा उत्पादक देश कौन सा है?
Ans. भारत.
Q6. एक बीघा में तिल्ली कितनी होती है?
Ans. लगभग 2 कुंतल.
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