जिस प्रकार ड्रिप इरिगेशन से फसलों की सिंचाई करने के लिए बूंद-बूंद पानी फसलों के पौधों तक पहुँचाया जाता है. उसी प्रकार मेघालय के किसान आज भी झरनों के पानी का उपयोग बांस की नालियां बनाकर पौधों को बूंद-बूंद पानी देकर सिंचाई करते हैं. इसलिए इसे बांस ड्रिप सिंचाई प्रणाली के नाम से भी जानते हैं.
मेघालय के पर्वतीय इलाकों के किसान नालियों की जगह झरनों से गिरने वाले पानी का उपयोग पौधों को सींचने के लिए करते हैं. इसके लिए बांस(bans) को बीच से चीरकर अलग कर देते हैं, जिससे उसका आकार नालियों की तरह हो जाता है.
बांस ड्रिप सिंचाई प्रणाली इतनी कारगर है की इसकी मदद से 200 फिट से भी अधिक दूर सिंचाई करने के लिए पानी को बहुत सरलता से ले जाया जाता है. बांस द्वारा बनाये गये इस नालियों में करीब 20 लीटर पानी लगभग 1 मिनट में झरनों से आता है और सैकड़ों फीट दूर खेत में सिंचाई करने के लिए ले जाया जाता है.
और पौधों को 1 मिनट में 20 से 80 बूंद-बूंद करके पानी दिया जाता है. बांस से सिंचाई करने की यह विधि मेघालय में करीब 200 साल पहले से प्रचलित है.
बांस ड्रिप सिंचाई प्रणाली क्या है | Bans drip sinchai pranali kya hai
बांस की नालियां बनाने के लिए आवश्यकता अनुसार मोटे-पतले विभिन्न व्यास के bamboo को काटकर उसको बीच से दो भाग कर दिया जाता है. उसके बाद उसके सभी गांठो को छीलकर साफ कर दिया जाता है. और उनको झरनों से खेत तक करीब सैकड़ों मीटर दूरी पर नालियां बनाकर फसलों की सिंचाई करते हैं.
बांस ड्रिप सिंचाई प्रणाली लगाने का समय
Bamboo drip irrigation system को मेघालय के किसान सर्दियों के मौसम में पान के फसलों की सिंचाई करने के लिए हाथों द्वारा बांस से बनाये हुए नालियों का उपयोग करते हैं. झरनों से खेत तक पानी लाने के लिए किसान ठंड का मौसम आने से पहले ही बांसों को काटना और चीरना शुरू कर देते हैं. क्योंकि इस प्रक्रिया में काफी समय लगता है. लेकिन बारिश के दिनों में Bamboo drip irrigation system का प्रयोग नहीं किया जाता है.
बांस ड्रिप सिंचाई प्रणाली लगाने का मुख्य कारण
मेघालय में Bans drip sinchai pranali लगाने का मुख्य कारण यह है की यहाँ की जमीन समतल नहीं होती है. यहाँ का पूरा क्षेत्र काफी गहरी ढलान में होती है. अन्य राज्यों की तुलना में न ही पाइप लाइन से पानी ले जाया जा सकता है और न ही नालियाँ बनाकर खेतों तक पानी ले जाया जा सकता है. इसके साथ बांस की नालियों का उपयोग पान के पौधों की सिंचाई के अलावा अन्य फसलों की सिंचाई भी की जाती है.
बांस ड्रिप सिंचाई प्रणाली किस राज्य में प्रसिद्ध है?
मेघालय.
बांस की नालियां बनाने में कितना दिन लगता है?
एक हेक्टेयर भूमि में बांस ड्रिप प्रणाली बनाने के लिए दो मजदूरों को लगभग 15 दिनों तक का समय लगता है.
मेघालय के किस इलाके में बांस ड्रिप सिंचाई प्रणाली प्रसिद्ध है?
Meghalaya bamboo drip irrigation “वार” इलाकों में पाई जाती है.
मेघालय में बांस ड्रिप सिंचाई प्रणाली कितने साल पुरानी प्रणाली है?
ANS: 200 साल पुरानी प्रणाली.
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